Sunday 28 June 2015

अपने बच्चों को फेल करवाना चाहते हैं हरियाणा के पैरंट्स

चंडीगढ़
हरियाणा के 30,000 पैरंट्स ने राज्य के प्राइमरी स्कूल टीचरों से गुजारिश की है कि वे उनके बच्चों को अगली क्लास में न भेजें। ऐसा इसलिए क्योंकि उनका कहना है कि उनके बच्चे अंग्रेजी के अल्फाबेट्स भी ढंग से लिख या पढ़ नहीं पाते। पैरंट्स नाराज़ हैं क्योंकि उनके बच्चों को टीचर अंग्रेजी ढंग से नहीं पढ़ा पा रहे।

डेलीमेल में छपी एक खबर के मुताबिक बोहतवास रेवाड़ी के रहने वाले बलवंत सिंह का कहना है, 'मेरे पोते सरकारी स्कूल में पढ़ रहे हैं। दूसरी क्लास में पढ़ने वाला मेरा पोता अल्फाबेट भी नहीं लिख पाता। चौथी क्लास में पढ़ने वाले पोते को भी दूसरी क्लास के बच्चों से ज्यादा कुछ नहीं आता। शिक्षा के अधिकार से बच्चे बिगड़ रहे हैं। अगली क्लास में जाने के काबिल न होने के बावजूद भी उन्हें प्रमोट कर दिया जाता है। अगर मेरे पोते को एक हफ्ते के अंदर अंदर डिमोट न किया गया तो मैं विरोध प्रदर्शन करूंगा।' 

हरियाणा के 14 लाख प्राइमरी स्कूलों के 15% बच्चों को कम नंबरों के बावजूद बड़ी क्लासों में प्रमोट किया जा रहा है। बलवंत RTE का विरोध करने वाले अकेले पैरंट नहीं हैं। 


हरियाणा के प्राथमिक शिक्षक संघ द्वारा किये गए एक तात्कालिक सर्वे के मुताबिक 30,000 से ज्यादा पैरंट्स मौजूदा सिस्टम से खुश नहीं है। राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जनरल सेक्रेटरी दीपक गोस्वामी ने कहा, 'हमने हर स्कूल से 29,000 जेबीटी टीचरों से 3 सैम्पल लिये। 30,000 से ज्यादा पैरंट्स नहीं चाहते कि टीचर उनके बच्चों को अगली क्लास में भेज दें। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके बच्चों की अंग्रेजी खराब है और पढ़ाई में भी वे खास नहीं कर पा रहे हैं। पढ़ने-लिखने में ठीक न होने से बड़ी क्लासों में जाकर बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।' 

संघ के अध्यक्ष विनोद ठकरान ने कहा, 'हमने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा को इस बाबत जानकारी दी लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। RTE निर्देशों के मुताबिक वे सभी छात्र भी प्रमोट होने के हकदार हैं जिन्होंने पेपर नहीं दिये।' 

गौरतलब है, हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने शुक्रवार को कहा था कि राज्य सरकार खराब परिणामों के लिए टीचरों को जिम्मेदार ठहराएगी ताकि भविष्य में ऐसी दिक्कतें न आएं। शिक्षा विभाग छात्रों की काबिलियत बढ़ाने के लिए जल्द कदम उठाएगा। शर्मा ने स्वीकार किया कि मौजूदा सिस्टम से प्राथमिक शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। 

अंग्रेजी भाषा में कमजोर सरकारी स्कूलों के छात्रों वाला हरियाणा अकेला राज्य नहीं है। पंजाब में 80,000 से ज्यादा मैट्रिक के छात्र अंग्रेजी टेस्ट में इस साल फेल हो गए। 35,000 से ज्यादा तो पंजाबी का एग्जाम भी पास नहीं कर पाए। 

इन परिणामों से पैरंट्स भी हैरान हैं, जो हरियाणा के पैरंट्स की तरह ही अपने बच्चों की अंग्रेजी अच्छी देखना चाहते हैं, ताकि उनके बच्चों का विदेश जाने का सपना पूरा हो सके। 

पंजाब के अधिकतर छात्रों के वीजा ऐप्लिकेशन कमजोर अंग्रेजी के कारण रिजेक्ट हो जाते हैं। इस बात का फायदा उठाने के लिए चंडीगढ़ के आसपास कई सारे इंग्लिश कोचिंग भी खुल गए हैं। ये जल्दी अंग्रेजी सिखाने के ऐवज में उनसे अच्छा-खासा पैसा कमा रहे हैं।
http://navbharattimes.indiatimes.com/state/punjab-and-haryana/chandigarh/haryana-parents-asking-teachers-to-demote-their-kids/articleshow/47844735.cms


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